अनकही 1


कुछ अनकही बातें आज जुबान पे आई है
बिछड़ी यादें ,जब इस दिल की गहरायी छु पाई हैं….
कभी सोचता हूँ उस वक्त के बारे में तो आसमान गले लग जाता है
भूली बिसरी यादों में यह दिल न जाने फिर कहाँ खो जाता है….
कभी खवाबों में भी न सोचा था की जिंदगी इस मोर पे आयेगी
जब बड़े बड़े खवाब दिखाके किस्मत अनजाने रासते लाके छोड़ जायेगी …

इक अजीब सा ख्याल है, या शायद गम है कोई
किसी कोने में बढती खुशी है तो शायद मातम भी है कहीं…
अभी तो मंजिल की ओर बढे ही थे मेरे कदम , की इक अजीब सा थैराव आया है
आज ही शायद ख़ुद के अन्दर झांक मैंने इक नया सैलाब लाया है…
कभी लगा की कुछ तो बदल गया इस नए ठिकाने से
पर फिर समझ आया का न में बदला न बदला मेरा ज़मीर इस नए ज़माने से….

गुजरा हुआ कल अब धीरे धीरे मुझपे हावी होता है
ओर फिर उन यादों का इक झोंका साथ उदा ले जाता है…
जैसे कल ही की तो बात थी, जब ये नन्हे हाथ पापा ने थामे थे
नरम नरम हाथों से माँ ने मेरे हर सवेरे सवारें थे …
हर रात न जाने कब कहानी सुनते सुनते यह आंखें बंद हो जाती थी
माँ पापा के साथ मुझे हर पल न ख़तम होने वाली खुशी मिल जाती थी…

कल ही तो था वोह बचपन जब उनकी गोदी में ही नींद आती थी
पास न पाके जिनको , मेरी सारी खुशी इक पल में खो जाती थी….
ऊँगली पकड़ के जब जब मुझे वोह चलना सिखाते थे
आँखों में उनके मेरे लिए न जाने कितने ही सपने जाग जाते थे…..
उनके खवाब ही मेरे साहारे बन मंजिल की राह दिखाते थे
और हर पल उस मंजिल को पाने की अलग सी चाह जागते थे….

कभी जब शैतानी हद पार कर जाती थी
कान पकड़ माँ ही तो सही ग़लत में फर्क दिखलाती थी…
अंधेरे से जब कभी डर में दूर कहीं छिप जाता था
हाथ थाम पापा का ही तो फिर यह डर मुझसे कहीं दूर भाग जाता था…
वोह हर वक्त माँ का मुझे प्यार से खाना खिलाना
और हर मुश्किल से पापा का वोह मुझे लड़ना सिखाना….

याद आती है हर वोह रातें
और याद आती है वोह सारी अनकही बातें…
कन्धों में बैठ जिनकी मैंने दुनिया देखि, साँसों में तैर जिनकी मैंने चाहत देखि
आज उन आंखों से मैं दूर भाग आया हूँ
न जाने कितने खवाब पुरे करने वक्त से लड़ता आया हूँ…

हर उस वक्त का आज में मौकिल हूँ
जब बैठ संग आपके मैंने बचपन गुजरा है…
कभी खवाब आप कभी खवाब मैं
युहीं तो ये लंबा सफ़र गुजरा है….
जिंदगी अब बचपन छोड़ जवानी की और भागती है
इन कन्धों को बड़ा होते देख अब कुछ जिम्मदारियां भी मेरे सर आती है…
हौसला शायद मैं भी बन जाऊँ कभी
दर्द से उबार खुशियाँ भी शायद दे जाऊँ कभी…

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: