तेरी साइकिल मेरी साइकिल


तेरी साइकिल मेरी साइकिल

जब चलती थी वोह तेज, तो धड़कन तेज हो जाती थी
हमको देख यह तनहा सड़के भी खुश हो जाती थी
घूमते पहिये , झूमते पहिये गलियों पे छा जाते थे
STUNT MAN बनते बनते हम खुद को सुपर हीरो समझने लग जाते थे

गलियों से गुजरते थे , हम सडको पे उड़ा करते थे
स्कूल छुटने पर फिर उसे देख, आहें भी भरा करते थे
TING TING करती घंटी से, हम उसको डराते थे
और देख उसके चेहरे पे घबराहट, ख़ुशी से मन ही मन मुस्कुराते थे

कभी सीधे तो कभी उलटे पावँ साइकिल चलाते थे
सीट पे खड़े होकर फिर Handle से भी हाथ हटाते थे
तेरी साइकिल मेरी साइकिल के नाम, पे भी लड़ जाया करते थे
पर दोस्ती के लिए उससे भी छोड़ आया करते थे

होली के रंग में रंगने साइकिल पे जाया करते थे
दोस्तों के साथ भांग वाली भुजिया भी खाया करते थे
फिर उसके घर होली खेलने पहुच जाया करते थे
लौटते वक़्त दीवालों पर I LOVE U लिख आया करते थे

खड़ी चडी उन चट्टानों पर साइकिल चढ़ाया करते थे
और पहुँच उस ऊँचाई पे फिर जोर जोर से चिलाया करते थे
गिरते थे लड्खाते थे फिर भी सीना तान साइकिल चलाते थे
तेरी साइकिल मेरी साइकिल के नाम पे फिर अगले दिन लड़ जाते थे…

Comments
One Response to “तेरी साइकिल मेरी साइकिल”
  1. amrita singh says:

    i really love it………………:)

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: