अनकही ३ (Life on ascent)
ज़िन्दगी दौरते हुए जवानी की सीढ़ी चढ़ गयी
रात जैसे सपनो की मेड पे कहीं खो गयी
कभी खवाब समेटे तो कभी बातें बनायी
हर वक़्त भागते भागते ही न ख़तम होने वाली थकान मिटाई
पैरों के छाले जूतों में छुपाया
जब जलन सेहेन नहीं हुई तो पानी में घंटो डुबाया
पर रुकना तो जैसे कभी शब्द था ही नहीं
दिन हो या रात अपना बोज आखिर मैंने भी खुद ही उठाया
बचपन में पढ़ा था की जीवन एक संघर्ष है
हिंदी वाले मासहेब ने भी कहा था , हाँ बेटा जीवन मतलब ही संघर्ष है
जब वक़्त आया मैंने भी होसले रख अपने कदम बढ़ाये
गिरते संभलते , चलते भागते हर पल फिर भी वोह कमजोर लडखडाये
कभी चोट लगी तो सोचा यह संघर्ष है
कभी भूके सोये तो सोचा यह संघर्ष है
कभी खूब मेहनत के बाद भी फ़ैल हुआ तो सोचा यह तो पक्का संघर्ष है
जिंदगी आगे बढ़ गयी पर समझ नहीं आया की आखिर संघर्ष क्या था
हर पल दूसरों को देख सोचा काश मेरी ज़िन्दगी भी इतनी आसान होती
जिस चाभी के लिए सालों मेहनत की, उसके जैसे काश मुझे भी तोफे में मिली होती
हमेशा के लिए नहीं तो कम से कम कुछ पल के लिए तो दी गयी होती
धीरे धीरे एक लम्बा अरसा गुजर गया
सच कहें बाबु तो में खुद को आइने में देख उस दिन जोर का डर गया
क्या येही जिंदगी बनाने कदम उठाया था
बचपन के वोह हसी ख़ुशी वाले दिन पीछे छोड़ आया था
पैसे , पैसे और पैसे , कहीं से कोई और शब्द सुनाई नहीं देता
गूंजता है, भन्नाता है और चीखता है यह शब्द पैसा
मुझे तो प्यार और विश्वास की तलाश थी
पर मिला भी तो किस्तों में, किस्तों का प्यार न जाने प्यार यह कैसा…
खैर ऐसे जिंदगी का क्या है, आज है तो कल नहीं
मैंने जो कमाया है उसका दूसरा कोई भी तो मोल नहीं
एक छोटी सी हसी सही और एक छोटा सा विश्वास ही सही
क्यूंकि जले तो वोह चिराग नहीं जिसकी बाती में खुद से आस नहीं .
~अखंड
so true ……………..just simply loved it
amazing……and really touching…..and i can feel it has been written with immense emotions…..loved itt…..
so touching man … kya kar raha hai !
Man this is amazing too gud….loved it..thoda aashirwaad do bhai idhar b..!! seriously man awesome writing no wrods..!!