तू कौन है
तू कौन है
कभी पूछा वक़्त ने मुझसे की तू कौन है
आरंभ है की कहीं तू अंत है
जवाब कुछ अधुरा सा ही रह गया
ढलती हुई शाम सा मै एक सोच में ही उलझा रह गया
कभी ख्याल तो कभी एक खवाब सा
अंधेरों में खोया एक शख़्स सा ही रह गया
टटोला, समझाया फिर भी जवाब न आया
एक अधूरा सा शब्द जैसे कानो में मचलता रह गया
देर कुछ कहीं से एक आवाज आई
तू ही तो वक़्त है कल ही ढल जायेगा
में सोच घबराया, भागा और लड़खड़ाया
पर सहमी सी चाल लेके कुछ दूर ही चल पाया
थक के जब कभी में कहीं गिर गया
एक अनजाना सा फलसफा कानों में मुश्कुराया
तू क्षत्रिये है, कवी है, निडर है और वीर भी
मै उठा और वक़्त को समझाया
“क्या हुआ अगर में ढल जायूँगा, अभी तो साँस ली है तू फिकर न कर दूर तक जायूँगा “
bohot khub! 🙂
thanks Soumya :)))
wow.. breathtaking.. amazing 🙂
Nice thoughts executed beautifully. Great write!
thanks 🙂 i appreciate your reviews