शायद
शायद
एहसास अगर होता नहीं
तो क्या शब्द बुनता मैं
शब्द अगर होता नहीं
तो क्या इजहार करता मैं
थोड़े से सपने संजोता शायद
अंधेरों में उनको टटोलता शायद
मिलते कभी और कभी नहीं भी
फिर भी एक आस लेके दौड़ता शायद

अरमान अगर होते नहीं
तो क्या उम्मीद रखता मैं
चाह अगर होती नहीं
तो जीने को क्यूँ सघर्ष करता मैं
कुछ पाने के लिए लड़ता शायद
रिश्ते निभाने के लिए लड़ता शायद
टूटते कभी और कभी नहीं भी
फिर भी हर लम्हे से मिलता शायद
प्यार अगर होता नहीं
तो क्यूँ साँस लेता मैं
विश्वास अगर होता नहीं
तो क्यूँ गर्व करता मैं
एक कविता मैं लिखता शायद
हजारो शब्द मैं समेटता शायद
कुछ कहता कभी या कभी नहीं भी
फिर भी कुछ बयाँ करता शायद
~An Empty Glass
nice words…. 🙂