एहसास
एहसास
अगर अजनबी सा एहसास होता
तो मै खुद मै नहीं, शायद मशहूर ग़ालिब होता
शब्द अधूरे रख नशे में नूब होता
अलफ़ाज़ से जुड़ा एक नायब नूर होता
पर यह एहसास तो अपना है
बिछड़े दोस्त सा पहचाना एक चेहरा है
दर्द की दावा और जैसे अंधे का एक सपना है
पिघला हुए चट्टान का टुकड़ा है