कॉलेज याद रह गया
कॉलेज याद रह गया
लम्हा जो गुजर गया
कुछ किस्सों में हमसे बहुत कुछ कह गया
कभी बैठते थे उन कमरों में हम
पर आज दिल में एक खली कमरा सा ही रह गया
कुछ चुलबुली सी शरारते याद रह गयी
हस्ते मुस्कुराते अजीब से चेहरे याद रह गए
भीड़ में आज खोजते हैं जिन्हें हम
हमें एक चेहरे की भीड़ बना के रह गए
खाने की छीना झपटी और क्लास बंक करना याद रह गया
रैगिंग का गाना और गाली भी खाना याद रह गया
छोटी बातों में झगरते थे जिनसे हम
उन दोस्तों का साथ निभाना कहीं जोर का घर कर रह गया
बाइक पे बैठ गलिओं में भटकना याद रह गया
लहरों सा रोड पे तैरना याद रह गया
गिरते पड़ते जिनके संग चलते थे हम
उनका हमें संभालना भी याद रह गया
सच कहते हैं लोग
कॉलेज के दिन याद रह जातें है
जिंदगी भर कानो में गूंजते और गुन्गानाते हैं
और हाँ हर पल फिर से जी लेने की चाह जागते हैं
पर आज बैठ इस अनजान महफ़िल में
हमें तो हमारा बिता हुआ जीने का अंदाज़ ही याद रह गया